Izhaar-e-mohabbat

दिल में कैद थे जो जज़्बात ,वह  बहना अब चाहते हैंरोके रखे थे जुबां पे लफ्ज़ जो, तुझसे कहना हम चाहते हैं| 
सुनने को तैयार है तो, सुन मेरे रहबरतेरे संग हर पल रहना हम चाहते हैं ||



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